۱ آذر ۱۴۰۳ |۱۹ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 21, 2024
इमामे सज्जाद

हौज़ा/हज़रत इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम का अहम खुतबा यज़ीदी दरबार में जो आपने फरमाया इल्म, हिल्म, सख़ावत,फ़साहत, बहादुरी, लोगों के दिलों में हमारी मोहब्बत, और हमारी फ़ज़ीलत यह है कि हमारे जद पैग़म्बर स.अ. और उम्मत के सबसे सच्चे इमाम अली अ.स. हमारे दादा हैं, जाफ़र तय्यार और हमज़ा हम में से हैं, शेरे ख़ुदा, शेरे रसूले ख़ुदा और हसन व हुसैन अ.स. हम में से हैं

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम का अहम खुतबा यज़ीदी दरबार में जो आपने फरमाया इल्म, हिल्म, सख़ावत,फ़साहत, बहादुरी, लोगों के दिलों में हमारी मोहब्बत, और हमारी फ़ज़ीलत यह है कि हमारे जद पैग़म्बर स.अ. और उम्मत के सबसे सच्चे इमाम अली अ.स. हमारे दादा हैं, जाफ़र तय्यार और हमज़ा हम में से हैं, शेरे ख़ुदा, शेरे रसूले ख़ुदा और हसन व हुसैन अ.स. हम में से हैं।

 जब अहले हरम के क़ाफ़िले को यज़ीद के दरबार में ले जाया गया तो वहां यज़ीद के कहने पर दरबारी ख़तीब ने तक़रीर शुरू की जिसमें उससे जितना हो सकता था उसने इमाम अली अ.स. को बुरा भला कहा और बनी उमय्या का शजरा पैग़म्बर स.अ. से मिला दिया, यही वह मौक़ा था जब इमाम सज्जाद अ.स. खड़े हुए और उस दरबारी ख़तीब से कहा, ऐ तक़रीर करने वाले, लानत हो तुझ पर तूने लोगों की वाहवाही हासिल करने के लिए अल्लाह की नाराज़गी की परवाह नहीं की,

फिर आपने यज़ीद को मुख़ातिब करके कहा ऐ यज़ीद क्या तू मुझे अनुमति देता है कि मैं इस लकड़ी के ढ़ेर पर जाकर कुछ बोल सकूं, बनी उमय्या की उस मस्जिद में काफ़ी भीड़ थी, दूर दूर से लोग तमाशा देखने के लिए आए थे, हर तरह के लोग उस भीड़ में थे,

यज़ीद नहीं चाहता था कि इमाम सज्जाद अ.स. कुछ बोलें लेकिन इमाम सज्जाद अ.स. ने इतनी तेज़ आवाज़ में कहा था कि वहां बैठे लोगों ने भी सुन लिया था और लोग इमाम अ.स. की तरफ़ ध्यान से देखने लगे और सबने कहा कि ऐ यज़ीद इस जवान को भी बोलना की अनुमति दे ताकि हम भी जान सकें यह क़ैदी कौन है कहां का है और सच्चाई क्या है और ऐ यज़ीद तू इसे क्यों बोलने की अनुमति नहीं देना चाहता....

लोगों की उठती आवाज़ों के आगे यज़ीद ने मजबूर हो कर इमाम अ.स. को तक़रीर की इजाज़त दी, लेकिन यज़ीद का दिल नहीं चाहता था कि इमाम सज्जाद अ.स. कुछ बोलें, क्योंकि वह जानता था कि जैसे ही नबुव्वत के ख़ानदान का यह चिराग़ लोगों के सामने ज़ुबान खोलेगा वैसे ही लोगों को सच्चाई का पता चल जाएगा,

और यह सालों से जो बनी उमय्या के कारख़ाने से निकले हुए ख़तीब जो मिंबरों से इमाम अली अ.स. और अहलेबैत अ.स. को गालियां दे रहे थे उन सबकी सच्चाई लोगों के सामने आ जाएगी और बनी उमय्या की झूठी साज़िशों और मक्कारियों का पर्दा फ़ाश हो जाएगा, लेकिन लोगों के बार बार कहने से यज़ीद ने मजबूर हो कर इमाम को तक़रीर करने की इजाज़त दे दी।

इमाम सज्जाद अ.स. ने यज़ीद के भरे दरबार में जो ख़ुत्बा दिया वह इस तरह था कि.....

अल्लाह का बेहद शुक्र है जो बहुत मेहेरबान और रहम वाला है, जिसकी तारीफ़ की कोई सीमा नहीं है और वह हमेशा से है और हमेशा रहेगा, उसकी ज़ात हमेशा बाक़ी रहने वाली है, वह कभी ख़त्म होने वाला नहीं है, वह सबसे पहले था और सबसे आख़िर तक रहेगा, वही लोगों को दिन और रात में रोज़ी बांटने वाला है, ऐ शाम के लोगों ध्यान रहे कि अल्लाह ने बे शुमार नबियों और वलियों को इस दुनिया में भेजा है और हम अहलेबैत अ.स. को सात फ़ज़ीलतें ख़ास तौर से बख़्शी हैं।

इल्म- हिल्म- सख़ावत- फ़साहत- बहादुरी- लोगों के दिलों में हमारी मोहब्बत, और हमारी फ़ज़ीलत यह है कि हमारे जद पैग़म्बर स.अ. और उम्मत के सबसे सच्चे इमाम अली अ.स. हमारे दादा हैं, जाफ़र तय्यार और हमज़ा हम में से हैं, शेरे ख़ुदा, शेरे रसूले ख़ुदा और हसन व हुसैन अ.स. हम में से हैं, ऐ लोगों तुम में से जो लोग मुझे जानते हैं वह तो जानते ही हैं और जो नहीं जानते उनको मैं अपने हसब और नसब बताए देता हूं...

अब इमाम सज्जाद अ.स. ने अपने आपको जिन शब्दों में पहचनवाया है वह उनकी हिम्मत, हौसले और उनके नसब की पाकीज़गी की ऐसी मिसला है जिसकी गूंज आज भी यज़ीदियों के कानों में मौजूद है, आपने जिस तरह ख़ुद को पहचनवाया उस तरह आज तक किसी ने अपने आप को नहीं पहचनवाया और यज़ीद के दरबार में मौजूद सभी लोगों के साथ साथ रहती दुनिया तक सारे लोगों को यह यक़ीन दिला दिया कि ख़बरदार हसब और नसब में हमारा मुक़ाबला कभी मत करना।

इमाम सज्जाद अ.स. ने फ़रमाया...

मैं मक्का और मेना का बेटा हूं, मैं ज़मज़म और सफ़ा का बेटा हूं, मैं उस नबी का बेटा हूं जिसे अल्लाह ने आसमानों की सैर कराई और उन्हें एक ही रात में मस्जिदुल हराम से मस्जिदुल अक़सा ले गया, मैं उसका बेटा हूं जिसने अपनी रिदा के दामन में हजरे असवद को रख कर उसकी असली जगह पर लगाया, मैं उसका बेटा हूं जिसे जिब्रईल सिदरतुल मुन्तहा तक ले गए जो मक़ाम अल्लाह से सबसे क़रीब है, मैं उसका बेटा हूं

जिसने आसमान के फ़रिश्तों के साथ नमाज़ पढ़ी, मैं उस नबी का बेटा हूं जिस पर अल्लाह ने वही नाज़िल की, मैं मोहम्मद (स.अ.) और अली (अ.स.) का बेटा हूं, मैं उसका बेटा हूं जिसने अल्लाह की तौहीद की ख़ातिर उसके दुश्मनों की नाक ज़मीन पर रगड़ी, मैं उसका बेटा हूं जिसने पैग़म्बर स.अ. का साथ देते हुए दो नैज़ों से जंग की, मैं उसका बेटा हूं जिसने दो हिजरतें और दो बैअतें की, मैं उसका बेटा हूं जिसने बद्र और हुनैन में कुफ़्फ़ार से जंग लड़ी, मैं उसका बेटा हूं जिसने पलक झपकने के बराबर भी कभी कुफ़्र इख़्तियार नहीं किया, मैं उसका बेटा हूं जिसने मुसलमानों की हिफ़ाज़त के लिए हमेशा कोशिशें की, मैं उसका बेटा हूं

जिसने इस्लाम को बचाने के लिए क़ासेतीन, मारेक़ीन और नाकेसीन से जंगें की, मैं उसका बेटा हूं जिसने मोमेनीन में सबसे पहले पैग़म्बर स.अ. की दावत को क़ूबूल किया, मैं उसका बेटा हूं जो सबसे पहले ईमान लाया और जिसने मुशरिकों की कमर तोड़ दी, मैं उसका बेटा हूं जिसने अल्लाह के दीन की मदद की और जो उसके अम्र का वली है, मैं उसका बेटा हूं जिसके सीने में अल्लाह का इल्म और उसकी हिकमत है,

मैं उसका बेटा हूं जो बहादुर, करीम, ख़ूबसूरत, सरदार और अबतही है, मैं उसका बेटा हूं जो अल्लाह की मर्ज़ी पर राज़ी और हर मुश्किल में साबिर, दिन को रोज़े रखने वाला और रातों को इबादतें करने वाला है, मैं उसका बेटा हूं जिसने अल्लाह की दीन पर बुरी नज़र डालने वालों की ईंट से ईंट बजा दी, मैं अरब के सरदार और जंगों में डट कर मुक़ाबला करने वाले का बेटा हूं, मैं उसका बेटा हूं जो हसन अ.स. और हुसैन अ.स. जैसे बच्चों के वालिद हैं, हां मैं उन्हीं का बेटा हूं, मेरे जद अली इब्ने अबी तालिब अ.स. हैं।

फिर इमाम अ.स. ने कहा कि मैं दुनिया की सारी औरतों की सरदाद हज़रत ज़हरा स.अ. का बेटा हूं, मैं कर्बला में शहीद कर दिए जाने वाले हुसैन अ.स. का बेटा हूं, मैं ख़दीजतुल कुबरा का बेटा हूं, मैं उसका बेटा हूं जिसे उसके अपने ही ख़ून में लतपथ कर दिया गया, मैं उसका बेटा हूं जिसकी शहादत पर फ़रिश्तों ने मातम किया, मैं उसका बेटा हूं जिस पर परिंदों ने आंसू बहाए, इमाम अ.स. ने इसी अंदाज़ को जारी रखा यहां तक कि लोगों के रोने की आवाज़ें बुलंद हो गईं।

यज़ीद ऐसी परिस्तिथि को देख कर बौखला गया कि कहीं ऐसा न हो कि किसी दूसरे इंक़ेलाब का सामना करना पड़े इसीलिए उसने मोअज़्ज़िन को हुक्म दिया कि अज़ान शुरू करे ताकि इमाम अ.स. ख़ामोश हो जाएं, मोअज़्ज़िन ने अज़ान कहना शुरू किया जैसे ही अल्लाहो अकबर कहा इमाम अ.स. ने फ़रमाया बेशक अल्लाह से बड़ा किसी का वुजूद नहीं है,

फिर जैसे ही अशहदो अल्ला इलाहा इल्लल्लाह कहा इमाम अ.स. ने फ़रमाया मेरे बाल, खाल, बदन को गोश्त और मेरा ख़ून उसकी वहदानियत की गवाही देता है, और जैसे ही मोअज़्ज़िन ने अशहदो अन्ना मोहम्मदर रसूलुल्लाह कहा इमाम अ.स. ने यज़ीद की तरफ़ रुख़ किया और कहा ऐ यज़ीद यह बता यह तेने जद का नाम है या मेरे? अगर तू अपना जद कहे तो तू झूठा है और काफ़िर है और अगर यह मेरे जद का नाम है तो ज़रा यह बता कि तूने उनके ख़ानदान को किस जुर्म में क़त्ल कर डाला? 

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